Manju Tiwari

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“इक विभूति”

विभूतिमय देह से “विभूति” बन जाने की यात्रा कैसी रही होगी? जन्मी होगी कब, कहाँ, कैसे, किस पल ……अनगिन से हैं अक्षर “क” ! सोचती हूँ, भस्म विभूति बन लिपटा कब महेश मन ? यक्ष प्रश्न ? शायद … जब छोटे छोटे स्वार्थों का त्याग बन जाता है, सफलताओं का रहस्य, जब चाह से परे सेवा…

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